________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
श्री तृतीय सागर प्रभु जिन स्तवन.
८१३
॥ अथ श्री तृतीय सागर प्रभु जिनस्तवन ॥
॥ चउमासी पारणं आवे ॥ ए राग ॥ गुण आगर सागर स्वामी, मुनि भाव जीवन निःकामी॥ गुण करणे कर्तृ प्रयोगी, प्राग्भावी सत्ता भोगी ॥ १॥ सुहंकर भव्य ए जिन गावो, जिम पूरण पदवी पावो॥सुहंकर०॥ए आंकणी। सामान्य खभाव स्वपरना, द्रव्यादि चतुष्टय घरना ॥ देखे दरशन रचनाये, निज वीर्य अनंत सहाये ॥सु० २॥ तेहने ते जाणे नाण, ए धर्म विशेष पहाण ॥ सावय वीकारज शक्ते, अविभागी पर्यय व्यक्ते ॥सु० ३॥ जे कारण कारज भावे, वरते पर्याय प्रभावे ॥
For Private And Personal Use Only