________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
आगमसार.
परमाणु अनंता रह्या छे. ते सर्व पोतानी सत्ता लीधा थका रह्या छे पण कोइ द्रव्य साथे मिली जातो नथी ते वस्तुपणो.
. ३ द्रव्यत्व केहतां द्रव्यपणो ते सर्व द्रव्य पोतपोतानी क्रिया करे एटले धर्मास्तिकायमां चलनगुण ते सर्व प्रदेश मध्ये छे. सदा काले पुद्गल तथा जीवने चलाववारूपक्रिया करे छे, इहां कोइ पुछे जे लोकान्त सिद्धक्षेत्रमा धर्मास्किाय छे ते सिद्धना जीवने चलाववापणो करतो नथी तेनु केम ? तेने उत्तर कहे छे जे सिद्धना जीव अक्रिय छे माटे चालता नथी पण ते क्षेत्रमा जे सूक्ष्म निगोदना जीव तथा पुद्गल छे तेहने धर्मास्तिकाय चलावे छे माटे पोतानी क्रिया करे छे, तेमज अधर्मास्तिकाय जीव तथा पुद्गलने स्थिर राखवानी क्रिया करे छे, तथा आकाश द्रव्य ते सर्व द्रव्यने अवगाहनारूपकार्य करे छे. इहां कोइ पूछे जे अलोकाकाशमांतो बीजं कोई द्रव्य नथी तो अलोकाकाश कया द्रव्यने अवगाहदान आपे छे तेने उत्तर कहे छे जे अलोकाकाशमां अवगाह करवानी शक्ति तो लोकाकाश जेवीज छे परंतु तिहां अवगाहनो दान लेनार द्रव्य कोइ नथी माटे अवगाहदान करतो नथी अने पुद्गल द्रव्य मिलवा विखरवारूप क्रिया करे छे तथा कालद्रव्य वर्तना रूप क्रिया करे छे अने जीव द्रव्य ज्ञान लक्षण उपयोगरूप क्रिया करे छे एम सर्व द्रव्य पोताने परिणामी स्वसत्तानी क्रिया करे छे ए द्रव्यत्वपणो कह्यो.
४ प्रमेयत्वं कहेतां प्रमेयपणो जे छ द्रव्यमां प्रमेय पणो छे, तेनो प्रमाण केवली पोताना ज्ञानथी करे छे, जे धर्मास्तिकाय तथा अधर्मास्तिकाय अने आकाशास्तिकाय एकेक द्रव्य छे अने जीवद्रव्य अनंता छे तेहनी गणति कहे छे. संज्ञी
For Private And Personal Use Only