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आगमसार.
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रहित ते सिफ़ दशा. १ ज्ञाननो जाणपणो ते जीवनो गुण. २ तेनो ज्ञाता ते जीव. ३ ज्ञेय ते सर्व द्रव्य.१ ध्यान ते जीवना स्वरूपनों २ ते ध्याननो ध्याता जीव ३ ध्येय आत्मानो, स्वरूप. १ कर्ता ते जीव २ कर्म ते एक मोक्ष बीजो बन्ध ३ क्रिया ते एक संवर बीजी आस्रव. १ कर्म ते चेतनाने कर्म बंधना परिणाम २ कर्मनुं फल ते चेतनाने जे कर्म उदयना परिणाम ३ ज्ञान चेतना ते जीवनो स्वगुण. ते आत्माना त्रण भेद छे १ अज्ञानी जीव शरीरादिक परवस्तुने आत्मबुझिये करी माने छे. पहेलो बहिरात्मा २ जे देह सहित जीव छे ते पण निश्चये सत्तागुण सिद्ध समान छे एटले पोताना जीवने सिख समान करी ध्यावे ते बीजो अंतरात्मा जाणवो. ३ कर्म खपावी केवलज्ञान पाम्या ते अरिहंत तथा सिह सर्व परमात्मा जाणवा. ए त्रिभंगीनो विचार कह्यो एटले आठ पक्षनो विचार कह्यो.
हवे एक द्रव्य मध्ये छ सामान्य गुण छे ते कहे छे. पहेलो अस्तित्व ते जे छ द्रव्य आपणा गुण पर्याय प्रदेशे करी अस्ति छे तेमां धर्म, अधर्म, आकाश अने जीव ए चार द्रव्यनो असंख्याता प्रदेश मिल्या खंध थाय छे अने पुद्गलमां खंध थवानी शक्ति छे माटे ए पांच द्रव्य अस्तिकाय छे अने छठो काल द्रव्यनो समय कोइ कोइथी मिलतो नयी केमके एक समय विणस्या पछे बीजो समय आवे के मादे काल अस्तिकाय नथी. द्रव्यमां ए अस्तित्व पणो कयो.
२ वस्तुत्व कहेतां वस्तुपणो कहे छे ते द्रव्य छए एकठ एक क्षेत्र मध्ये रह्या छे. एक आकाश प्रदेशमां धर्मास्तिका. नो एक प्रदेश रह्यो छे तथा अधर्मास्तिकायनो पण एक प्रदेश रह्यो छे अने जीव अनंताना अनंता प्रदेश रह्या छे. पुद्गर
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