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तथा मुफो शोधमामां पंडित लालचंद भगवान् तथा पंडित जयचंद विठ्ठल तथा शास्त्री भाइशंकर वैकुंठराम तथा मुनि कीर्तिसागरजी तथा मास्तर चंदुलाल नानचंद वगेरेए थोडाघणा अंशे जे जे सहाय करी तेमाटे तेमने धन्यवाद घटे छे.
आ पुस्तक छपाववामां आर्थिक सहाय करनाराओनो उपकार मानवामां आवे छे तथा जे जे मुनिराजोए तथा श्रावकोए श्रीमदनी कृतियो मेळववामां साहाय्य करी छे तेनो प्रस्तावनामां उपकार मानमामां आव्यो छे. श्रीमद् देवचंद्रजीनी कृतियो- श्वेताम्बर जैनोनी पेठे दिगंबर जैनो पण वाचन श्रवण मनन करे छे, तेमनां बनावेलां पुस्तकोनो वधु प्रमाणमां फेलावो करवामाटे आर्थिक सहाय कर्ताओनी सहायथी पडतर किंमत करतो पण मोघवारीना सययमां घणीज ओछी मात्र रु. २) किंमत राखवामां आवी छे. एक हजार उपर पत्रवाळा. ग्रन्थनी बिलकुल ओछी किंमत राखीने तेनो जैनोमां सर्वत्र फेलावो करवानो इरादो राख्यो छे तेथी हवे वांचको तेनो लाभ लेवा चूकशे नहीं एम आशा रखाय छे. बालचर निवासी श्रीपुत् झवेरी अमरचंदजी बोथराए तेनी १५० प्रतियो लेवानी मागणीतो ग्रन्थ तैयार थतां पूर्वे करी छे ते उपरथी श्रीमद् देवचंद्रजीकृत कृतियोनी उपयोगितानो ख्याल आवी शके छे. आ ग्रंन्थनी किंमतनी उपजेली रकम बन्ने भाग छपावतां वधशे तो तेनो अन्य द्रव्यानुयोगना तथा आध्यात्मिक ग्रन्थो छपाववामां उपयोग करवामां आवशे. तेथी परंपराए धार्मिक ग्रन्थोनो प्रचार तथा तेओनुं प्राकट्य थशे एम अवबोधीने जैनोए तथा गुणानुरागी जेनेतरोए श्रीमद् देवचंद्र प्रथम भागनो लाभ लेवा चूकवू नहीं. अध्यात्मज्ञानप्रसारक मंडळ तरफथी आप्रमाणे
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