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भारतबंधुओपर महान् उपकार करी शकाय एवो विचार प्रथम श्रीमद् बुद्धिसागरमूरिजीना मनमां प्रगट्यो अने तेमणे पादरा निवासी सुश्रावक वकील मोहनलाल हेमचंदभाइ, माणेकलाल, प्रेमचंदभाइ, मंगळभाइ वगेरे श्रावकोने जणाव्यो अने तेओए श्रीमद् देवचंद्रजी महाराजकृत सर्व कृतियोने छपावीने बहार पाडवानो निश्चय कर्यो छे, तथा प्रवृति करी छे. तेना फल तरीके श्रीमद् देवचंद्र प्रथमभाग छपाइने बहार पड्यो छे अने द्वितीय भाग अल्पमासमां छपाइने बहार पडशे एम आशा रहे छे. द्वितीय भाग छपाववानो आरंभ करवामां आव्यो छे अने तेमां कया ग्रन्थो छपाववामां आवशे तेनुं लीष्ट पण प्रस्तावनामां दर्शाववामां आव्युं छे. श्रीमद्नी कृतियो छपाववामां मुख्य भाग लेनार अने तेमना रागी पादराना वकील श्रावक मोहनलाल हिमचंदभाइ छे. तेमणे वणसेना आशरे पत्रो लखीने ज्यां त्यां मुनिराजो तथा श्रावकोने मळीने श्रीमद्नी कृतियो भेगी करी छे अने पोताना अमूल्य वखतनो भोग आपीने श्रीमदनी कृतियो छपाववानी व्यवस्था करी छे तेथी तेमने धन्यवाद घटे छे. श्रीमद्ना ग्रन्थोना अभ्यासथी तेमना रागी बनेल पादरा निवासी द्रव्यानुयोगना अभ्यासी सुश्रावक शा. माणेकलाल वरजीवनदास तथा शा. प्रेमचंदभाइ दलसुख तथा वडु निवासी छगनलाल लक्ष्मीचंद तथा भाइलालभाइ चुनीलाल वगेरेए वकीलजी मोहनलाल हिमचंदभाइनी पेठे श्रीमदनी कृतियो छपाववामां आर्थिक सहायनी व्यवस्थामां सारो भाग लीधो छे तेथी तेमने धन्यवाद घटे छे. वडोदरा-लुहाणामित्र स्टीम प्रेसना मालीक विठ्ठलभाइ आशारामे जल्दी पुस्तक छापवा माटे प्रवृत्ति करी छे तेथी तेमने धन्यवाद आपवामां आवे छे,
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