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आगमसार.
अशुद्ध नैगमवाले पुछ्युं जे लोकना त्रण भेद छे, १ अधोलोक २ त्रिछोलोक ३ अर्वलोक तेमां तुं किहां रहे छे जेवारें शुद्ध नैगमें कह्यं जे त्रिछालोकमां रहुंछं. वली पुछ्युं जे त्रिछालोकमां असंख्याता द्वीप समुद्र छे तेमां तुं कया द्वीपमा रहे छे तेवारें विशुद्ध नैगमें कडं जे जंबुद्वीपमा रहंछं, ते जंबुद्धीपमा खेत्र घणा छे, ते तेमां तुं कया क्षेत्रमा रहे छे, तेवारे अतिशुद्ध नैगम बोल्यो जे भरतक्षेत्रमा रहुंछं, ते भरतक्षेत्रना छ खंड छे ते मांहेला कया खंडमां रहे छे तेवारें कडं जे मध्यखंडमां रहुं छु एम क्रमे पूछतां छेल्ले कयुं जे आपणा देशमा रहुं छं, तेवारें फरी पुछ्युं जे देशमां तो नगरगाम घणा छे तो तुं किहां रहे छे. तेवारें कडं जे हुं अमुक गाममा रहुं छु, ते गाममां वली अमुक पाडो तथा अमुक घर बताव्युं तिहां सुधी नैगम नय जाणवो. ___ अने संग्रह नय वालो बोल्यो जे मारा पोताना शरीरमां वसुं छु, तथा व्यवहारनयवालो बोल्यो जे संसारे बेठो छु तेटलाज बिछानामां रहुं छु, अने ऋजुसूत्र नयवाले कयुं जे मारा आत्माना असंख्याता प्रदेशमा रहुं छु. वली शब्दनय कहे जे मारा स्वभावमा रहुं छु, तेमज समभिरूवनय कहे जे हुं मारा गुणमा रहुं छु, अने एवंभूतनयवादी कहे जे ज्ञानदर्शन गुणमां वसुं छं. ए दृष्टांत कयो तेम सर्व वस्तुमां कहे..
तथा कोइके प्रदेशमात्र क्षेत्र अंगीकार करी पुछ्युं जे ए प्रदेश कया द्रव्यनो छ तेवारें नैगमनय बोल्यो जे छए द्रव्यनो प्रदेश छे केमके एक आकाश प्रदेशमध्ये छ द्रव्य भेला छे तेवारें संग्रहनय बोल्यो जे कालद्रव्य तो अप्रदेशी छे ते माटे सर्व लोकमां एक समय सरिखो छे पण ते एक आकाश द्रव्यना प्रदेशमां जूदो नयी माटे काल बिना पांच द्रव्यनो
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