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आगमसार.
१५
संबंध छे केमके अभव्य जीवनां कर्म किवारें ख़पशे नही माटे, अने भव्य जीवने कर्मनुं लागं अनादि कालनुं छे पण ते किवारेक छुटशे माटे भव्य जीवने पुद्गल संबंध अनादि सांत छे तथा निश्चय नयेकरी छ द्रव्य स्वभाव परिणाम परिणम्या छे ते परिणामीपणो सदा शाश्वतो छे ते माटे अनादि अनंत छे अने जीव तथा पुद्गल बेहु द्रव्य मलि संबंध भाव पामे छे ते पर परिणामीपणो छे ते परपरिणामिपणो अभव्य जीवने अनादि अनंत छे अने भव्य जीवने अनादि सांत छे अने पुद्गलनो परिणामी पण ते सत्ता अनादि अनंत छे अने पुद्गलनो मिलवो विछडवो ते सादि सांत छे एटले जीव द्रव्य पुद्गल साथै मिल्यो सक्रिय छे अने पुल कर्मयी रहित थाय तेवारें जीव द्रव्य अक्रिय छे अने पुल द्रव्य सदा सक्रिय छे.
हवे एक, अनेक पक्षी निश्चय ज्ञान कहेवाने नय कहे छे, सर्व द्रव्यमां अनेक स्वभाव छे, ते एक वचनयी कहा जाय नहीं माटे मांहोमांहे नय करी संक्षेप पणे कहे छे, तिहां मूल नयना बे भेद छे एक द्रव्यार्थिक बीजो पर्यायार्थिक तेमां उत्पाद व्यय पर्याय गौण पणे अने प्रधानपणे द्रव्यनो गुण सत्ताने ग्रहे ते द्रव्यार्थिक नय कहियें तेना दश भेद छे १ सर्व द्रव्य नित्य छे ते नित्य द्रव्यार्थिक २ अगुरु लघु अने खेत्रनी अपेक्षा न करे मूल गुणने पिंडपणे ग्रहे ते एक द्रव्यार्थिक ३ ज्ञानादिक गुणे सर्व जीव एक सरीखा छे माटे सर्वने एक जीव कहे स्वद्रव्यादिकने ग्रहे ते सत् द्रव्यार्थिक. जेम सल्लक्षणं द्रव्यं ४ द्रव्यमां कहेवा योग्य गुण अंगीकार करे ते वक्तव्य द्रव्यार्थिक ५ आत्माने 'अज्ञानी कहेवो ते अशुद्ध द्रव्यार्थिक ६ सर्व द्रव्य गुण पर्याय सहित
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