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आगमसार.
अने चार पर्याय अनित्यछे. जीवद्रव्यना चारगुण तथा ऋण पर्यायनित्यछे अने एक अगुरुलधु पर्याय अनित्य छे. ए रीते नित्यानित्यपक्ष कयो.
हवे एक अनेकपक्ष कहे छे. एक धर्मास्तिकाय बीजो अधर्मास्तिकाय. ए बे द्रव्यनो खंध लोकाकाशप्रमाण एक छे अने गुण अनंताछे. पर्यायअनंताछे. प्रदेश असंख्याताछे, तेणेकरी अनेकछे, आकाशद्रव्यनो लोकालोकप्रमाणंखध एकछे अने गुण अनंताछे. पर्याय अनंताछे. प्रदेशअनंताछे माटे अनेकछे, काल द्रव्यनो वर्तनारूप गुण एकछे अने गुण अनंताछे, पर्याय अनंता छे, केमके समय अनंताछे. अतीत काले अनंतासमय गया अने अनागतकाले अनंता समय आवशे. तथा वर्तमानकाले समय एक छे माटे अनेकपक्षछे. पुद्गलद्रव्यना परमाणु अनंताछे ते एकेक परमाणुमां अनंतागुण पर्यायछे. ते अनेकप'छे अने सर्व परमागुमां पुद्गलपणुं ते एकज छे माटे एक छे.
जीवद्रव्य अनंताछे. एकेका जीवमा प्रदेश असंख्याताछे तथा गुण अनंताछे. पर्याय अनंताछे ते अनेकपणुं छे पण जीवितव्यपणुं सर्वजीवोनुं एकसरीखंछे माटे एकपणुं छे. इहां शिष्य पुछे छे जे सर्व जीव एक सरीखा छे तो मोक्षनाजीव सिद्ध परमानंदमयी देखायछे अने संसारीजीव कर्मवश पड्या दुःखी देखाय छे अने ते सर्व जुदाजुदा देखाय छे ते केम ? तेहने गुरु उत्तर कहे छे के निश्चयनये तो जीव सिद्ध समान छे माटेज सर्व जीव कर्म खपावीने सिद्ध थाय छे तेयी सर्व जीवनी सत्ता एकछे.
फरि शिष्य पुछे छे के जो सर्व जीव सिद्ध समान कहोछो तो अभव्य जीव पण सिद्ध समान छे. एम ठेरथु (ठयु) अने
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