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आममसार.
छे. एक पुद्रलद्रव्यमां नथी; तथा अचेतनगुण पांच द्रव्यमांछे. एक जीवद्रव्यमां नथी, अने सक्रियगुण जीव तथा पुद्गल ए बे द्रव्यमांछे. बाकी चारद्रव्यमा नथी; तथा चलणसहायगुण एक धर्मास्तिकायमांछे, बीजा पांच द्रव्यमां नथी; वली स्थिरसहायगुण एक अधर्मास्तिकायमां छे. बीजा पांच द्रव्यमां नथी; तथा अवगाहनागुण ते एक आकाशद्रव्यमांछे, बीजा पांच द्रव्यमां नयी; अने वर्तनागुण ते एक कालद्रव्यमांजछे, बीजा पांच द्रव्यमां नथी; तेमज मिलणविखरणगुण ते पुद्गलमांछे, बीजा द्रव्यमां नथी तथा ज्ञान-चेतना गुण ते एक जीव द्रव्यमां छे, पण बीजाद्रव्यमां नथी. ए मूलगुण कोइ द्रव्यना कोइ द्रव्यमां मिले नहीं. एक धर्म, बीजो अधर्म, वीजो आकाश, ए त्रण द्रव्यना त्रण गुण तथा चार पर्याय सरिखाछे अने त्रण गुणें करी तो कालद्रव्य पण ए समान छे.
___ हवे वली अग्यार बोले करी छद्रव्यना गुणजाणवाने गाथा कहेछे.
परिणामि जीव मुत्ता, सपएसा एग खित्त किरिआय निच्चं कारण कत्ता, सव्वगय इयर अप्पवेसे । १।
अर्थ-निश्चयनयथी आप आपणा स्वभावे छए द्रव्य परिणामी छे अने व्यवहारनयथी जीव तथा पुद्गल ए बे द्रव्य परिणामी छे तथा एक धर्म, बीजो अधर्म, त्रीजो आकाश अने चोथो काल, ए चार द्रव्य अपरिणामी छे. तथा छ द्रव्यमां एकजीव द्रव्य ते जीवछे, बीजा पांच द्रव्य अजीव छे तथा छ द्रव्यमां एक पुद्गल मूर्तिवन्त रूपी छे अने पांच द्रव्य अमूर्तिमंत अरूपी छे. छ द्रव्यमां पांच द्रव्य सप्रदेशी छे, अने एककाल द्रव्य अप्रदेशीछे. तेमां एक धर्मास्तिकाय. बीजो अधर्मा
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