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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org ( १४ ) १५ (४) चोवीशी मोटी टबासद-आ चोवीशीनी प्र थम छपायली प्रतिओ उपरांत प्र० श्रीकांतिविजयजी महाराज पासेयी आजयी दोढसो वर्षपर सुरतना भणसाठी कुटुंबे लखाबेली प्रति मळी छे आ प्रति प्रथम छपाएली चारे आवृतिओ करतां वघारे शुद्ध छे छापेली प्रतिओमां जुनी आवृति अमदाबाद श्री शांतीसागरजीना भंडारमां छे. १६ (५) वीस विहरमानजी स्तवन ( वीसी ) - आ ग्रंथ प्रथम छपायेल छे. Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir १७ (६) गतचोवीसी ( स्तवन २१) प्रथम छपाएल छे छे छेल्लां त्रण स्तवनो शोध कर्या छतां मळी शक्यां नयी कोइ महाशयना जोवामां आवेने जणावशे तो आभार थशे. १८ (७) स्नात्रपूजा १९ (८) नवपदजीपूजा (उलाळा ) २० (९) एकवीशप्रकारी पूजा २१ (१०) अष्टप्रकारी पूजा ओ पादराना पुस्तक भंडारमां छे. आ चारे ग्रंथो प्रथम पूजा संग्रहमां छपा - एल छे तेनी जुनी हस्तलीखीत प्रति २२ (११) वीरनिर्वाणना स्तवननी ढाळोनी एक प्रति अमदावाद विद्याशाळाना भंडारमांयी भोजक गीरधरभाइ मारफत मळी छे. For Private And Personal Use Only २३ (१२) बाहुजीन स्तवननो टबो अमदावाद डेलाना उपाश्रयना भंडारमाथी मळेल छे. * बीजां ओगणीस स्तवननो eat श्रीमदे लखेलो होय एवो संभव छे पण मळेल नथी. * डाबडा नं. ४४. बी. प्रत नं. ८ पान ७
SR No.008661
Book TitleShrimad Devchandra Part 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBuddhisagar
PublisherAdhyatma Gyan Prasarak Mandal
Publication Year
Total Pages1084
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Philosophy, & Worship
File Size15 MB
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