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(४०) ए आदि अनेक प्रकारनी जीवने शुभ करणी जाणवी. ए शुभ व्यवहारनये जीवकर्ता कहीये, चोथा अशुभ ध्यवहार नये जीव क्रोध, मान, माया, लोभ, विषय, कपाय, हास्य, रति, अरति, भय, शोक, दुगंछा, निद्रा, चाडी, ममता, हिंसा, मृषा, अदत्त, मैथुन, अने परिग्रह, ए आदि अनेक प्रकारनी जीवने अशुभ करणी जाणवी. ए अशुभ व्यवहारनये जीवकर्ता जाणवो. ... हवे पांचमा उपचरित व्यवहारनये घर, कुटुंब, परिवार, हाट, वखार,गाम, गरास,देश, चाकर, दास, दासी, वाणोतर, राज्य, वाडी, वन, आराम, कुवा अने सरोवर, ए आदि अनेक प्रकारनी वस्तु ते पोतानाथी प्रत्यक्षपणे जुदी छे, तेने जीव अज्ञानपणे पोतानी करी
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