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(२१३)
माणे तेओ निश्वयसम्यक्त्वनी व्याख्या करे छे पण तेनो प्रवचनसारोद्धारवृत्ति - नवपद प्रकरणवृत्ति-धर्मसंग्रहवृत्ति - आचारांगसूत्र टीका वगेरेमां कथेला निश्चय सम्यक्त्वनी साथे मतभेद देखाय छे, नवपदप्रकरणवृत्ति, धर्मसंग्रह वगेरेमां क्षायिक समकितने निश्चय समकितथी भिन्न गण्युं छे अने श्रेणिकने क्षायिक सम्यक्त्व छतां निश्चय सम्यक्त्व नथी एम स्पष्ट कथ्युं छे. आगमसारना कर्त्तानी जे निश्चय सम्यक्त्वनी व्याख्या करी छे ते पण उपरनी व्याख्याथी भिन्न पड़े छे तो पण अनुभवनी अपेक्षाए अप्रमत्त साधुओने जे निश्चय सम्यक्त्व कथ्युं छे तेनी साथै संबंध कथंचित् वंधबेसतो आवे छे. अप्रमत्त साधुओ, निश्चयनयनी अपेक्षाए पोताना आ
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