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मधितिष्ठति ॥
आ प्रमाणे निश्चयनय सम्यक्त्वनुं स्वरूप अवबोधj. शुद्ध ज्ञान दर्शन चारित्र परिणति रूप आत्मा तेज निश्चय सम्यक्त्व छे. बाह्य रागादि संकल्प विकल्प रहित निरुपाधिमय शुद्धात्म बोध स्थिरता, लीनता तन्मय परिणति तेज निश्चय सम्यक्त्व अवबोधकुं.
आगमसारकर्ता देव - गुरु अने धर्मनी श्रद्धाने व्यवहारसम्यक्त्व कहे छे अने आत्मा तेज देव, आत्मा तेज गुरु अने आत्मा तेज धर्म एवी श्रद्धाने निश्चयनय सम्यक्त्व कथे छे. प्रश्नोत्तररत्नचिंतामणिमां शेठ अनुपचंद मलुकचंद जणावे छे के उपशम सम्यक्त्व - क्षयोपशम सम्यक्त्व अने क्षायिक सम्यक्त्व तेज निश्चय सम्यक्त्व छे. आ प्र
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