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(२०६)
म्यक्त्व प्राप्त थाय छे माटे व्यवहार सम्यक्त्व प्रवृत्तिनो आदर करवो. निश्वयसम्यक्त्वना जे जे व्यवहारहेतुओ छे तेनी रुचि प्रवृत्ति व्यवहारसम्यक्त्व कहे छे. निश्चयसम्यक्त्व
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निच्छयओ सम्मत्तं, नाणाइ मयशुद्धपरिणामो, इअरं पुण तुह समए भणिअं सम्मत्तहेनहिं ॥
निश्चयतो ज्ञानादिमयात्मशुद्धपरिणामः निश्चयसम्यक्त्वम् ॥
निश्चयथी ज्ञानदर्शन चारित्रमय आत्म शुद्धपरिणामने निश्वयसम्यक्त्व कहे छे. ज्ञानदर्शन अने चारित्रसंतुलितपरिणामने
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