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(७) षधिना भक्षण थकी बुद्धिनुं स्फुरायमान पणुं थाय छे, तेम कर्म वस्तु जे जडरुपे छे, तेना संबंध थकी आत्मा विचित्र आकारे देखाय छे, अने जुदा जुदा प्रकारनां शरीरने धारण करे छे, तेम पांचइंद्री, मन, वचन अने कायरुप पुद्गल वस्तुने धारण करे छे, ए सर्व कर्मना प्रपंच छे, ए कर्म पुद्गलास्तिकाय छे. जड छे. सक्रिय छे, तेमां आत्मापणुं नथी, एम ज्यारे ज्ञान थाय छे सारे तेनाथी मोह उतरे छे. षड् द्रव्यनुं ज्ञान थवाथी समकितनी प्राप्ति थाय छे. ते षड् द्रव्य देखाडे छे. ___(१) धर्मास्तिकाय (२) अधर्मास्तिकाय (३) आकाशास्तिकाय (४) पुद्गला
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