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जघन्य एक समय अने उत्कृष्ट छ आवलीका सुधी क्षीर वमन स्वाद सरखो जे भाव रहे छे तेने सास्वादन सम्यक्त्व कहे छे. सास्वादनं च पूर्वोक्तौपशमिक सम्यक्त्वात् यततो जघन्यतः समय उत्कर्षतश्च षडावलिकायाम वशिष्टायामनन्तानुबन्ध्युदयात्तद्व-मनेतदास्वादरूपं यतः ॥ उवसम सम्मत्ताओ चयओमिच्छं अपावमाणस्स सासायणसम्मत्तं तयंतरालं मि छावलियं ॥
वेदक सम्यक्त्व-अनंतानुबंधीनी चोकडी मिथ्यात्व मोहनीय मिश्रमोहनीयने तद्द.
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