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षड् द्रव्य विचार.
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याये करी जीव चार गतिरुप संसारमा उत्पाद व्ययरुप पलटण स्वभावे वर्ते छे. ते आवी रीते मनुष्य भवना पर्यायनो व्यय थयो अने देवताना भवना पर्यायनो उत्पाद थयो वळी तीर्यच भवना पर्यायनो व्यय थयो, अने मनु प्य भवना पर्यायनो उत्पाद थयो एम अशुद्ध अनित्य पर्याय करी जीव उत्पाद व्ययरुप पलटण स्वभावे चार गतिरुप संसारमां सदाकाल वर्ते छे. अने जीव एनो ए ध्रुवपणे साश्वतो छे, तथा जन्म मरण थाय छे ते सर्व उत्साद, व्यय, थाय छे. माटे द्रव्यास्तिक नये करी जीवने नित्य समजवो. अने पर्यायास्ति नये करी जीवने अनित्य केहेवामां आवे छे. ए रीते, षड् द्रव्यमां निश्चय