________________
(२८)
षड् द्रव्य विचारः
जीवे अनंती पुदगल परमाणुआ रुपी अँठ ग्रहण वारंवार करी, तोपण तेथी तृप्ति पामतो नथी, पारकी वस्तु पोतानी मानी बेठो छ, अहो जीव द्रव्य अनंत शक्तिवालं तेने पुद्गल द्रव्ये पोताना कबजामां लीधुं छे, तेने संगे राच्यो माच्यो छे, माटे परवस्तु उपरथी
मोह उतारवो, अने पुद्गल द्रव्यपर वस्तु जा___णी तेनाथी दूर रेहेवु ए सार छे.
हवे वर्गणानु स्वरुप कहे छे.
पूर्वे कहेली आठ वर्गणा जीवने अनादि काळथी लागी छे. औदारिक वैक्रिय आहारक तैजस ए चार वर्गणा बादर छे. तेमां पांच वर्ण, बे गंध, पांच रस, अने आठ स्पर्श ए वीश गुण जाणवा, बाकीनी चार वर्गणा