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एड् द्रव्य विचार.
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जुदुं छे. लेश्या, योग, पांच संस्थान, पांच शरीर, तथा पांच संघयण, दस प्राण पांच इंद्री, ए सर्व हे चेतन ताराथी जुदुं छे. तेनामां पोतापणुं मानीश नहीं एम विचार ते अन्यत्व भावना जाणवी.
६ आ शरीर अपवित्र मळ मूळनी खाण छे. असुचिमय छ, पुरुषनां नव अने स्त्री नां बार द्वारथी सदा अशुचि नीकळे छे, हाल आ शरीर पवित्र लागे छे. पण रोग थए छते दुर्गधि युक्त थइ जशे. मांस रुधिर मेद हाडकांथी आ शरीर बन्यु छे, तेने देखी हे चेतन तुं शुं राचे छे. गर्भावासे तुं कीडानी पेठे नवमास मळमां रह्यो, मूयेनो प्रकाश आ वे नही, अने ऊंधे मस्तके रहेवू, एहवां गर्भ