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षड् द्रव्य विचार.
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साडाँत्रणक्रोड लोढानी सोयो तपावीने एक दम कोइ मनुष्यना शरीरे चोपे तेथी तेने जे वेदना थांय तेथी अनंतगुणी वेदना निगोदीया जीवने एक समयमां छे. भव्य जीवने निगोद प्राप्त थवानुं कारण अज्ञान छे. माटे तेहनो त्याग करवो ए सर्व प्रमेयनो प्रमाता आत्मा ते पोताना ज्ञान गुणे करी प्रमेयनो प्रमाण करे छे. ए प्रमेयत्वपणो कह्यो.
५. सत्व कहेतां सत्वपणो ते छ ए द्रव्य एक समयमा उपजे छे, वीणसे छे, अने स्थिरपणे छे. उत्पादव्यय, अने ध्रुवपणो तेही ज सत्पणो छे. उत्पाद, व्यय, ध्रुव युक्त-सत् इति तत्वार्थ वचनात् तेने विस्तारथी वतावे छे.
धर्मास्तिकायना असंख्याता प्रदेश के