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नी सहाय इच्छवानी जेओनी इच्छा होय तेश्रोए घंटाकर्ण महावीरनी पूजा आदिथी आराधना करवी. मिथ्यात्वी देव देवीनी सहाय इच्छवा करतां सम्यग् दृष्टि स्वधर्मी देव वीरनी सहाय इच्छवी ते विशेष उत्तम . गीतार्थ आचार्यमुनिमंत्रज्ञाताओनी पासे रही मंत्र, विद्या, देवोपासना वगेरेनुं रहस्य समजवु. जेओने चारनिकायना स्वधर्मी देवादिनी सहायादिनी इच्छा न होय, तेओने माटे तो वीरादिनुं प्रजन नथी. इत्यादि सर्व बाबत गुरु गमथी जाणवी.
जैनशासनजक्तश्री घंटाकर्णमहावीरपूजा.
परब्रह्म परमातमा, महाबीर जिनराज; इन्द्रा. दिक पूजे सदा, सर्वदेव शिरताज ॥१॥ चोवीशमा तीर्थकरा, विश्वोद्धारक देव; सर्वदेवने देवीओ, करती प्रेमे सेव. ॥ २॥ यक्षयक्षिणी योगिनी, प्रभु पदध्यावे बेश; बावनवीरो सेवता, टाळे नविना क्लेश. ॥ ३॥ सर्ववीरमां श्रेष्ठ जे, महावीर शिर. दार, घंटाकर्ण विराजता, प्रभुनक्त अवतार ॥४॥
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