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श्री घंटाकर्ण महावीर पूजनविधि.
श्री शांति स्नात्र अष्टोत्तरी स्नात्र तथा प्रतिष्ठा प्रसंगे पूर्वाचार्य मुनियोए घंटाकर्ण महावीर मंत्रयंत्रनी थाळी थापवानुं जणाव्णुं छे अने ते प्रमाणे वर्तमानमां प्रवृत्ति थाय छे. तथा देवप्रतिष्ठा शांति स्नात्र काले घंटाकर्ण महावीरना मंत्रनो १०८ बार जाप करीने सु. खडी सहित मंत्री स्थाळी वांधी स्थापवामां आवे छे. घंटाकर्ण महावीरनी श्री महुडी (मधुपुरी) गाममां श्री पद्मप्रभु जिन मंदिरनी बहार देरी वे, तेमां घंटाकर्ण महावीरनी मूर्ति स्थापवामां आवी वे घणा भक्तोना आग्रहथी धीरनी पूजा रचवामां आवी छे, तथा आरती रचवामां यात्री बे. गुरुगमपूर्वक पूजा न णाववी ने करवी. शासन रक्षक वीरतरीके पूर्वाचाय घंटाकर्ण महावीरने स्थाप्या छे. घंटाकर्ण महावीर मंत्र कल्प बे ऋण जातिना हे. कलिकालमां शासन प्रजावक वीरना अनेक चमत्कारो थाय ठे. सम्यग्दृष्टि वीर ते सम्यग् दृष्टियोने स्वधर्मी तरीके भक्ति करवा योग्य बे. परमात्म महावीर देवना भक्त रागी वीरने स्वधर्मी तरीके मानवामां पूजवामां अतिचार नथी. स्वधर्मी तरीके श्री घंटाकर्ण महावीर
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