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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir पूजासंग्रह. द्वितीय भागनी प्रस्तावना. दउं उपदेश जीवोने, प्रतिफळनी नथी इच्छा, फर्ज मारी अदा करवी, पडे जो प्राण तोपण शुं ? (भजनपद भा. ६) जेमनुं लेखनकार्य विश्वना जीवोनुं भलं केम थाय तेनी योजनाओना उद्देशनुं परिणामभत होय छे एवा गुर्जर भूमिमां विचरता अध्यात्मज्ञानी शास्त्रविशारद जैनाचार्य श्रीमान् बुद्धिसागरसूरीश्वरजी कृत आ पूजासंग्रहनो द्वितीय भाग पण प्रथम भागनी माफक अनेक गुणसंपन्न अने भावप्रधानस्वरूपथी अलंकृत जोरामां आव्यो छे. तेमनी रचनामां दरेक विषयतुं व्यावहारिक अने अध्यात्मिकस्वरूप यथायोग्यरूपमां द्रव्यभाव गुणदृष्टिए चीतरेलु जोवामां आवे छे जे खास खूबीरूप छे. दरेक दर्शनोमां प्रभुभक्ति छे ते प्रभु प्राप्तिना साधनरूप मनाइ एक या बीजी अनेकरीतीए तेना व्यावहारिक स्वरूपमा प्रगट थयेली होय छे, जेनुं दिग्दर्शन सूरिश्रीए पूजासंग्रह भा. १ ना उपोद्घातमां करेलुं छे ते वांचवाथी तेनो ख्याल वाचको सहज रीते करी शकशे. __ जैनोमा अगाउ अनेक मुनिवरोए भक्तिप्रधान पूजाओ रची छे जेनो अत्यारसुधीनो जे संग्रह छे तेमां आ रचनानो उमेरो अनेक रीते प्रशंसापात्र छे. अत्यारसुधी रचायेला संग्रहमां आ रचनाथी एकदम धरखम वधारो करीने पूजा साहित्यने शक्यता परिपुष्ट करेलु छे. तेम प्रथम भागमां अने आ द्वितीय भागमा प्रथम करस्पर्श नहि ययेला अनेक विषयो पूजानुष्ठानमां परोवीने तेना क्षेत्रमा विशाळता साबीत करी बताबेली छे अने पात्र परत्वे अमर्यादतान मंत्र सूचनछे. For Private And Personal Use Only
SR No.008634
Book TitlePooja Sangraha Part 3
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBuddhisagar
PublisherAdhyatma Gyan Prasarak Mandal
Publication Year1924
Total Pages620
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati, Ritual_text, & Ritual
File Size24 MB
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