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वन्दु" ५
वन्दु०६
११४. लोको मारे गाळो देवे, तोपण समता वहियारे. चमकोशिक आदि अपराधी, उद्धर्या प्रभुए भावेरे; मूठी बाकुला लेइने चन्दना, नद्धरी नक्तिदावेरे. बेषट्मासी नवचोमासी, बेत्रणमासी धारीरे; दोढमासी अढीमासी बेबे, षट् बेमासी विहारीरे. मासखमण बार पाक्षिक बहोतेर, बार अठमतपयोगीरे, बसे योगणत्रिशतप भद्रादिक, तप तपियो तुं अनोगीरे. त्रणसे ओगणपञ्चाश पारणां, चोविहारी कीधांरे; बुद्धिसागर प्रभुमहावीरनां-, श्रात्मकारज सिद्धयारे.
वन्दु० ७
वन्दु०८
वन्दु० ९
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