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ढाल पहली. (सांभळशो मुनि संयमरागे उपशमश्रेणि चढियारे. ए राग.) वंदु महावीर मुनि वैरागी, थातमध्यानी त्यागीरे; श्मशानउद्याननिर्जनवासी, कोपर द्वेष न रागीरे.
वन्दु० १ शूलपाणि उपसर्गने सहेवे, चंडकोशी दंश देवरे; समतानावे मनमा रहेवे, कोइने कांइ न कहेवेरे.
वन्दु० गोवाळ कटपूतना व्यंतरीने, संगमसुर दुःखकारीरे; षट्मासी रह्या प्रभु निराहारी, समतागुण भंडारीरे.
वन्दु०३ काने खीला ठोक्या गोपे, तोपण रोष न धारि, पगपर खीरने रांधतां समता, रोष गयो रोषे हार्योरे.
वन्दु०४ लाढा आदि देश अनारज, घोरपरिषह सहियारे;
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