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ढाल बीजी.
( प्रभु सुमतिरे सुमति आपो प्यारा. ए राग. )
प्रभु जन्म्यारे शांति आनंदकारी, जग शांति लघुं निर्धारीः ॥ भारतमां उत्सव भारीरे, देशोदेश नगर सुखकारी रे; थता उत्सवरे जनता हर्ष अपारी, क्षत्रीकुंड उत्सव जयकारी.
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वर्धमान नाम शुभ खाप्युंरे, मात पिताए हर्षे थाप्युंरे; सुरे महावीरनामने स्थाप्युंरे, प्रभु रूपनेरे बलनी न करे कोइ होडी; मळे सुरपति कोडाकोडी.
कल्पवृक्षपरे प्रभु वाधेरे, जगजीवनां वांछित साधेरे:
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लहे शांतिश्वास नरनारीरे,
प्रगट्यां जग मङ्गल नारीरे; मोह ज्ञानरे - तम हवा निर्धारी-, प्रभु रवि प्रगट्या उपकारी.
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प्रभु० १
प्रभु० २
प्रजु० ३