________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
बुद्धिसागर परमानन्दमय-, तुजस्वरूप दिल धायु. महावोरण-
ॐ प० जलंग य स्वाहा ॥
॥ अग्यारमी बोधिदुर्लभभावनापूजा॥ कंचनकामिनी इन्द्रनी,-पदवी मळवी स्हेल; जिनवरनाषितधर्मनी,-प्राप्ति छे मुश्केल. ॥१॥ राज्यादिक सहु सुलन छे, दुर्लभजिनवरधर्म; सम्यग्दृष्टिबोधिनी,-प्राप्तिथा शिवशर्म. ॥२॥ समकिती नरनारियो, करे कुटुम्ब प्रतिपाल; अंतर निर्लेपी रहे, धाव रमाडे ज्युं बाल. ॥ ३ ॥ बोधिदुर्लन भावना,-भावंतां नरनार; दर्शन ज्ञानने चरणनी,-प्राप्ति लहे निर्धार. ॥४॥
(उत्तम फल पूजा कीजे. ए राग.) जिनवर महावीर पूजीजे-, प्रभु भ्याइ दिल रीझोजे; तुषीजे नही जडमां रोझीजेरे-, बोधिदुर्लभ भावीजे; . अही बोधि प्रमाद हठावीजेरे-,
जिनवर महावीर पूजोजे. १
For Private And Personal Use Only