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मदिरामासमधुने माखण.., रात्रीभोजन त्यागोजी; अभक्ष्यबावीश बत्रीशअनंतकाय, त्यागी घरो जिनरागो. वीरप्रभु०२ सचित्तप्रतिबद्ध अप्पोल दुप्पोल, तुच्छौषधि नहि खावीजी; ए पांचे अतिचारने टाळी--, लेजो मनडुं मनावो. वीरप्रभु०३ अन्नादिक भोग उपभोग जाणो, गृहनारी परिभोगोजी; यथाशक्तिरुचिथी विरमीए--, गणवा भोगने रोगो. वीरप्रभु०४ इंगाल वनने साडी नाडी.., फोडोकर्मने तजीएजी; दंत लाख रस केशने विष पंच, कुवाणिज्य न नजीए. वीरप्रभु०५ यंत्रपीलन निलोछन दवदान, सरदहशोषण चारोजी; पांचमुं असतीपोषण वारो, टाळो पन्नर अतिचारो. वीरप्रभु०६
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