________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
त्रिशलानन्दन हारे थावो; गुणवतमां गुणगण प्रगटावो. महावीर.४ पुष्पे पूजी प्रनुगुण धरद्यु, उपयोगे शुद्धगुणो करगुं; बुद्धिसागरप्रभुपद वरशुं...
महावीर० ५ ॐ--40 -पुष्पं यजामहे स्वाहा ॥
॥सप्तमभोगोपभोगविरमणव्रते अष्टमी
अष्टमाङ्गलिकपूजा॥
दुहा। लोगोपभोगथी विरमवु, रुचिशक्तिअनुसार; श्रावकनुं व्रत सातमुं-गुणकारी सुखकार. १ अष्टमंगलथो पूजीए-,महावीर जिनभगवान् ; सप्तमवतने उच्चरीए-,बनीए बहु गुणवान्. २
(सिद्धचक्रपदसेवाकीजे. ए राग.) पूजी महावीरप्रभु जयकारी, सर्वविश्व उपकारीजी; लोगोपनोगविरमणव्रतसातमुं.., उच्चरे नरने नारी, वीरप्रभु सेवोजी. चोवीशमा जिनराज, अरिहंत देवाजा. १
For Private And Personal Use Only