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( ५६ )
करशो; लब्धि सिद्धि प्रकटता करशो, बुद्धिसा - गर मंगल वरशोरे तप० ॥ ९ ॥
पांचमी वीर्याचार पूजा. दुहा
यतम शक्ति फोरवो, त्रण तजी अतिचार, सर्व प्रमादो पहिरो, धर्म करो नरनार, ॥ १ ॥ देव गुरुने धर्मना, आराधनमां शक्ति, फोरवतां शक्ति वधे, प्रगटे प्रभुपद व्यक्ति, ॥२॥ टींटोमी उत्साहथी, अनंत गुणो, उत्साह, धारी यातम शुद्धिनो, राखो मनमां चाह ॥ ३ ॥
ध्यान क्रिया मनमां आणी जे-ए रागं. प्रभु महावीर जिन उपदेशे, वीर्याचारने धारोरे. धर्ममां शक्ति फोरवो लोको, करशो पर उपकारोरे. प्रभु ॥१॥ दुःख पडतां नहिं मुंझाशो, परनी व्हारे धाशोरे, संकट पमता भागी न जाशो, करवा धर्म
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