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( ५ ) नेमिनाथ पूजा
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दुहा केवलज्ञानमां भासतुं, अणु सम विश्व सदाय,
ते नेमि प्रभु पूजीए, भाव ब्रह्म प्रगटाय. ॥ १ ॥
ढाल.
बाल्य की जे ब्रह्म व्रतधारी, अनन्त शक्तिमय अवतारी, केवलज्ञानथी जग हितकारी; मोह शत्रु हणी ए मोहारी, नेमि जिनेश्वरने पूजी जे, प्रभु स्वरूप थै प्रभु प्रणमीजे ॥ २ ॥
( फूल चढाव ३ )
पार्श्वनाथ पूजा
दुहा. पार्श्व प्रभु प्रमुं सदा, त्रेविसमा जिनराय; वन्दे पूजे भावथी, सिद्धे वांबित काज. ॥ १ ॥
ढाळ.
पार्श्वप्रभु जगमां जयकारी, परब्रह्म जगने सुखकारी; चोत्रिश अतिशयथी व्यवतारी, पांत्रिशवाणी
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