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( ४ )
कुसुमांजलि ढाळ. ऋषभदेव पूजा जाति कलशे न्हवरावे, इन्द्रो मनमां आ
नन्द पावे; प्रभु पूजा समकित प्रगटावे, प्रभु जाणी प्रभुने दिल लावे; कुसुमांजलिथी ऋषन पूजीजे, यही प्रभुगुण मन रीजी जे. ॥ १ ॥
( फूल चढाव . )
शान्ति जिनपूजा दुहो.
क्षायिक नव लब्धि प्रभु, शान्तिनाथ जगदेव; द्रव्यजावथी शान्तिने, पामो करीने सेव ॥ १॥
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ढाळ.
सहजानन्द स्वावे शान्ति, केवल ज्ञाननी शोभे कान्ति; टाळे सर्व जीवोनी चान्ति, आपे तन्मय यातां क्षान्ति; चोसठ इन्द्रो सारे सेवा, पूजुं प्रणमुं शान्ति देवा ॥ २ ॥
( फूल चढाववुं. ४ )
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