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( १९१ ) षडावश्यक पूजा.
श्री परमेश्वर वीरजिन, चोवीशमा जिनराज; त्रिशलानंद जगधणी, सर्वदेव शिरताज ॥ १ ॥ समवसरणमां बेसीने, भाख्यो साचो धर्मः षट् आवश्यक भाखियां, गृही साधुनां कर्म ॥ २ ॥ षट् यावश्यक कर्मथी, चित्तनी शुद्धि थाय. मनशुद्विधी आतमा, केवल ज्ञानने पाय. ॥ ३ ॥ सामायिक चउविश जिन, स्तव गुरुवंदन बेश; प्रतिक्रमण आवश्यके, नासे कर्मना कलेश. ॥ ४ ॥ कार्योत्सर्गने आदरे, करतां प्रत्याख्यान; आत्मशुद्धिथी प्रग
तुं, सहेजे केवलज्ञान ॥ ५ ॥ षडावश्यकनी रचु, पूजा द्रव्यने भाव; नेदे उपयोगे भली, जवोदधिमां नाव ॥ ६ ॥ अष्टप्रकारे पूजना, प्रत्येक पूजा दीठ; आत्मानुभव पामवा, ज्ञान क्रियाथी मिष्ट. ॥ ७ ॥
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प्रथम सामायिक आवश्यक पूजा. सामायिक करतां थकां रागद्वेष विनाश; क्ष
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