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सुख प्रायरे ॥ ए वास्तुका ॥१॥श्री संखेश्वर पास प्रभुजी, गातां सुख विशाल ।। श्री विद्यापुर.सकल संघमां, होवे मंगळमाळरे ॥ ए वास्तुक० ॥१३॥ ॥ नमो नगवते जलं चंदनं पुष्पं धूपं दीपं
अक्षतं नैवेद्यं फलं यजामहे स्वाहा.॥
वास्तुकपजा विधि. दरेक वस्तु पांच पांच लेवी, अष्टप्रकारी पूजानो सामान लेवो, आठ स्नात्रीया करवा.
एक कळश ग्रहण करे, बीजो केशरनी वाटकी ग्रहण करे, त्रीजो फुलनो हार वा बुटां फुल ग्रहण करे, चोथो धूप, पांचमो दीपक,
हो रकाबीमा अदतनो स्वस्तिक लश्ने नभो रहे, सातमो नैवेद्य लइ नभो रहे, पाठमो फळ
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