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(४७)
र्शन दीठे देवर्नु ए, पाप पंक दूर थाय नवि०॥ नगवती मांही मुनिवरा ए, प्रतिमा वंदन जाय ॥नवि०॥२॥ नाम नीकेपो नचरे ए, स्थापना किम न मनाय नवि०॥ शुनावधी ए पूज तां ए, जन्म मरण दूर जाय॥नवि० ॥३॥ सां कळचंद सुत जाणीए ए, चुनीलाल नदार ॥नवि०॥ नथुना सुत जाणीए ए, जेगमा हित कार ॥भवि० ॥४॥ जेगलाल नरोत्तम कारणे ए, मूळचंदभाश्ना काज ॥ भवि०॥ माह्याभा नी विनति ए, करतां शिवसुखराज ॥भवि०॥ ५॥ शासन विरजिनेश्वरु ए, हीरविजय सुर राय ॥ भवि० ।। सहेजसागर नपाध्यायजीए, तास शिष्य वखणाय॥भवि० ॥६॥ तास शिध्य नपाध्यायजी ए, जयसागर जयकार ।। भवि०॥ पाट परंपर शोभता ए, नेमसागर सुख कार ॥भवि०॥७॥ तस शिष्य रविसागर गुरू
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