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বলাফল
आ देवदत्तनुं धनछे, अत्र देवदत्त अने धनने उपर उपरनो संबंध छे, स्वस्वामीभावरूप कल्पित संबंधछे, ते माटे देवदत्तनुं धन कहेवू ते उपचारथी जाणवू. तथा देवदत्त अने धन एबे एक द्रव्य नथी, माटे ते धननो आरोप देवदत्तने विषे असद्भूतछे ए उपचरित असद्भूत व्यवहार जाणवो. आत्मानी साये कर्मसंश्लेषपणुंछे, पट आत्मानी साथे कर्म, तथा देहना संश्लेषपणाना (जोडावा वा मळवा) ना योगे अनुपचरित असद्भूत व्यवहार जाणवो.
आत्मानी साथे अष्टकमनो संबंधछे ते धन संबंधनी पेठे कपित नथी. वळी औदारिक-वैक्रिय, आहारक, तैजस अने कामण शरीरनो आत्मानी साथे संबंधछे ते पण धन संबंधनी पेठे कल्पित नथी. विपरीत भावनाए निवर्ते नहीं, जावज्जीव रहे तेमाटे ए अनुपचरित अने कर्मादिक भिन्न विषय माटे असद्भूत जाणवो.
अनुपचरित असद्भूत व्यवहारनये जीव कर्मनो कर्ता जाणवो, अने उपचरित असदभूत व्यवहारतः गृह धननो कर्ता जाणवो, तथा स्वजाति उपचरित असद्भूत व्यवहारे पुत्र पुत्रीनो कर्ता जीव जाणवो. पुत्र पुत्री पोतानी जातिनां छे, पुत्रादिक जीवना नथी तेम छतां जीवनां कहेवा ते उपचार, पुत्रादिक पोतानाथी भिन्नछे माटे असद्भूत जाणवो. विजाति उपचरित असद्भूत व्यवहारे धनादिकनो कर्ता जीव जाणवो. धन विगेरेनी जीवना करता जुदी जातिछे एटले ते पुद्गल जातिछे, माटे विजाति धनादिक जाणवं, धन वि. गेरेनो का जीवने कहेवो ते उपचार छ,कल्पितपणुं छे. धनादिक पोतानाथी भिन्न द्रव्यछे माटे असद्भूतपणुं तेमां जाणवू.
स्वजाति विजाति उपचरित असभूतव्यवहारनप्रतः नगरादिकनो कर्ता जीव जाणवो. नीव, अजीव बनो. समास
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