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(८) योग्य भने अयोग्यश्रीता लक्षण, ८ कपट वृत्ति जेने होय नहीं, अने सदाचार प्रवृत्तियुक्त होय. ९ लोकविरुद्धनो त्याग करनार होय. १० विनेय होय अने गुरुनी श्रद्धा सहीत सेवामां तत्पर होय.
इत्यादि लक्षणो जेनामां होय ते उपदेश ग्रहनार उत्तम पात्रभूत थावक वा मुनिपणे पण शिष्यो जाणवा. नीचेनां लक्षणवाळाओने उपदेश लागी शकतो नथी.
__ गाथा. रत्तो दुठो मूढो--पुबिवुग्गाहिओअ चत्तारि उवएसस्स अणरिहा अहवासएहिं परिबुजति ॥१॥ १ संसारनेज सार मानी तेमा अत्यासक्ति धरनार. २ हुँ कोण छु ? मारे शुं कर्तव्य छे ? तेनो पण जेने विचार
थाय नहीं. ३ पापना कार्यों करतां भय पामे नहीं, ४ जीवोनो घात करनार धूर्त शठ मूर्खपणुं जेनामां होय, ५ गुरुना दोषो जोनार, तेमनी निंदा करनार अने गुरुनी श्रद्धा ___ तथा गुरुनो विनय बहुमानरहीत होय. ६ गुरुमहाराजनी वाणी उपर विश्वास, श्रद्धा, तेमज तेमना
उपर प्रीतिरहीत होय. ७ कुगुरु अने सुगुरुनी परीक्षा करवानी जेनामा बुद्धि न होय. ८ कपटी, व्यसनी, तेमज निंदक होय, ९ कुगुरुना फंदामा फसाएल होय अने दृष्टिरागी होय. १० जेनुं स्थिर चित्त न होय, जेम भमावे तेम भमे, विवेकशुन्य
हृदय होय.
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