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( ३५८ )
वाद.
मानीने पुनः जगत्नो बनावनार ईश्वर सर्वथी भिन्नरीत्या कथेछे, स्त्रीस्ति मुसल्मान अने हिंदुओ जगत्नो बनावनार भिन्न भिन्न स्वी कारेछे, सर्व पोतपोतावा पक्षने सत्य मानी अन्यपक्षनुं खंडन करेछे: मुसलमानो पूनर्जन्म स्वीकारता नथी. पशुपंखीमां खुदानीरु (जीव ) छेएम माने छे त्यारे स्त्रीस्तिधर्मवाळाओ तो पुनर्जन्म मानता नथी. तेमज पशुपंखीमां आत्मा नथी एम मानेछे, पशुपंखीने मार्याम स्त्रीस्तियो दोष मानता नथी. हिंदुधर्म पाळनाराओ पुनर्जन्म माने छे. तेमज पशुपंखीमां आत्मा मानेछे अने पशुपंखी मार्यामां पाप गरेछे, जैनधर्म पाळनाराओ पुनर्जन्म मानेछे अने एकेन्द्रियादिक सर्व जीवोनी दया पाळवी तेने मुख्य धर्म स्वीकारेछे. हिंदुओमां वेटलाक वेदन बनावनार ईश्वरछे एम मानेछे. त्यारे वेटलाक कहे छेके वेदनो बनावनार कोइ नथी एम पौरुषेय अने अपौरुषेयनो विवाद चाली रह्योछे. वेटलाक हिंदुओ कर्मकाण्डने मुख्यधर्मः तरीके गणेछे. त्यारे amra ज्ञानकाण्डने मुख्य गणेछे. वेदमाननाराओ पैकी केटलाक जगत् स्वप्न समान भ्रांतिरूप मानी तेनो कर्ता ईश्वरछे एम मानता नथी. त्यारे वेटलाक जगत्नो कर्ता ईश्वरछे एम मानेछे. ज्ञानकाण्डमा पण अद्वैतवाद माननाराओ जगत् अनादि मानेछे, अर्थात् तेनो बनावनार कोइ मानता नथी. जे वस्तुनी आदि नथी अर्थात अनादिछे तेनो वनावनार कोइ नथी. जेनो कोइ बनावनारछे ते वस्तु अनादि कहेवाती नथी. ज्यारे जगत् अनादिकालथी छे एम मान्युं तो ईश्वर कर्तृत्ववाद रहेतो नथी. वेद पश्चात् उपनिषदो बनी एम मानवामा वेछे पश्चात् व्यासऋषि तेमणे तथा भगवद्गीता तथा अष्टादश पुराण बनाव्यां एवं केचित् मानेछे. आर्यसमाजीओ अठार पुराण व्यासजीनां बनावेलां मानता नथी. आधुनिक बनेलां मानेछे. एम पुराणो संबंधी चर्चा चाली रहीछे. सना
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