________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
(३.८)
उपम.
__स्वर्ग अने मोक्ष आपनारी दयाज ( अहिंसा ) दयाज मुख्यपणे मनायलीछे. अने एने राखवा माटेज सत्यादिकन पालन व्याजबी गणायछे. वळी आचारांग सूत्रमा कर्जा छे के-तथाच पाठः ___ सेवेमि जेअइया जेय पडुपना जे आगमिस्सा अरहंता भगवंतो ते सव्वे एव माइख्खंति, एवंभासंति, एवंप नवंति, एवंपरूंचंति, सव्वेपाणा, सव्वे भूया, सव्वेजीवा, सम्वेस ता, नहंतवा, नअजावेयव्वा, नपरितावेयबा, नउद्दवेयघा, एसबम्मे सुदै निइए सासए समिञ्चलोयं खेयनेहिं पवेइयं.
आचारांगसूत्र भावार्थ . हुं कहुं छं के जे तीर्थकर भगवान थइ गया अने जे हाल वर्ते छे, अने जे आवता काळमां थशे ते सर्व आ रीते कहेछे जणावेछे तथा वर्गवे छे के सर्ववाण, सर्वभूत, सर्वजीव, अने सर्व सत्वने हणवा नहि, तेमना उपर हकुमत चलाववी नहि. तेमने कबजे करवा नहि. तेओने मारी नाखवा नहि, अने तेओने हेरान करवा नहि, आवो पवित्र अने नित्य धर्म लोकोना दुःखने जाणनार भगवाने बताव्योछे.
अने वळी को छे के.जयंचरे जयंचिठे, जयमासे जयंसए । जयं भुजंतो भासंतो, पावं कम्मं न बंधइ ॥ १ ॥
श्री शय्यंशभरि कहेछे के यतनाथी चालवू. जीवनी दया सचवाय तेग उभा रहे. यतनाथी बेसवं, अने यतनाथी सू{. अने यतनाथी बोलयु, एम करतां पाप कर्म बंधाशे नहि. वळो कपुंछे के
गाथा. मल मइल पंक मइला. धूली मइला न ते नरा मइला
For Private And Personal Use Only