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परमात्मदर्जन
( २८३)
जरा नहि जंप, ए वचन हुं सत्य करंछु.कुसंपथकी मांहोमाहे मनुष्य लडेछे एक बीजानां मस्तक छेदेछे, एक वीजानी निंदा करे, क्रोध, मान, माया अने लोभ पण ज्यां हुं कुसंपर्छ त्यां वासो करे छे, चोरासी लाख जीवयोनीना जीवोने हुं अनादिकाळयी मारा वशमा राखंछ. हाल हिंदुस्तान देशनी नबळी स्थीति करनार पण हुंडूं. ज्यां में प्रवेश को त्यांची संप नामनो योद्धो पण पोबारा गणी जायछे, कोइ वखत कोइ देशमां वधारे रहुंछु अने कोइ वखत कोइ देशमां थाडो रहुंछ, जीवो बिचारा संप करवाने घणी महेनत करे, कोन्फरन्स भरेछे, सभाओ स्थापेछे अने बीजाओने कहेछे, के भाइओ संप करो पग मारुं मळ काढq घणुं मुश्केलछे, ज्यांथी कुसंप काढवानी तैयारी संप योद्धाओनी होय त्यां तो कुसंप भयरहीत रहेछे. मोटा मोटा मुनिराजो भाषणो आपीने थाक्या पण मारुं मूल कोइ उखेही शक्यु नहि. वखते मुनिओमां पण हुं लाग नोइने पेसी जाउंछु अने मुनि मंडळमां पग कुसंपनी सत्ता चलावं
, जे जीवो मारा वशमांछे तेमने काटनी पूमळीनी पेठे चारगतिमां नचाद्छु, मारी अदेखाइ माता विना हुँ एकलो रही शकतो नथी. ____ अमेरिका इंग्लांड वगेरेमा कुसंप नथी तो ते लोको मुखीछे पण ज्यारे हुं त्यां पगलां भरीश त्यारे ते लोकोना बार वगादीश, संपीने जीवो वर्ते ते मने सारं लागतुं नथी. नवळा मनना माणस उपर हुं विशेष सत्ता चल बुंछ. विशेष शृं. पर्वत उपर, रणमां, अपि विगेरेमां हुं जीवोने प्रवेश करावुछ. हे कर्मरानाजी मारा नेवो पुत्र उतां आम कम चिंता करोछो. __ आईं कुसंपर्नुवचन सांभळी अदेखाइनाननीतेनी माता सभा समक्ष भाषग करवा लागी के, हे मा मागनिय तमो मारा छतां कम चिंता करोछो.
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