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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir परमात्मदर्शन, ( २०९ ) गाडीने पोताने गमे त्यां नहिं खेंची जाय ते सारु अंदर बेठेला आत्माए तेओने काबुमा राखवानाछे, प्रथम अवस्थामां मनने काबुमा राखवानी जेम जेम वधारे कोशेश करवामां आवेछे तेम तेम नहीं जोइता विचारो धमधोकार थया करेछे, सारा, नारा, उंच, धनना, स्वीना, वेपारना हजारो विचारो थवानुं कारण समजी काढी खप विना विचार थवा देवो नहीं, सारं सारं पुस्तको वांचवामां आवे त्यां सुधी मन ते काममां राकाइ रहेछे, अने खराब विचारो नो नाश थायछे, खराब विचारो महारोगोना करतां पण भूंडाछे, मोटा रोगो तो एक भवमां पीडा करेछे, किंतु खराब विचारोथी माठी असरो थइ घणां चीकणां कर्म बंधाय छे, माटे अंतरना खराव विचारो माटे विशेष लक्ष आपवानी जरुरछे अने तेवा अशुभ विचारमय आर्त्तध्यान अने रौद्र ध्याननुं स्वरूप शास्त्रमां कभ्युंछे, आर्तध्यान अने रौद्र ध्याननुं मूल कारण अज्ञान, रागद्वेष अने मोहछे, अज्ञान ए महा शत्रुछे. अज्ञाननो नाश करवा सद्गुरु उपदेश वारंवार सांभळवो अने तेनो विचार करवो. षड्द्रव्योनुं स्वरुप धारखं. जड चेतननो विभाग करवो तेथी स्व अने परनी समजण - पडतां भेद ज्ञान प्रगट थशे. समकित प्रगट थवानुं मुख्य कारण भेद ज्ञानछे. जड अने चेतन वे वस्तु भिन्न भिन्न छे एटला मात्रथी भेद ज्ञान मानी खुशी थवुं नहिं पण आगल वधी अंतरथी सदाकाळ वे वस्तुओ न्यारी समजवी. हवे रागद्वेष ए वे मोटां भुतछे, राग ए चूडेलछे अने द्वेष ए जन्दछे. ए बे ज्यां सुधी माणसमां छे त्यां सुधी विचारो मनुष्य सदाकाल दुःखीयो जाणवो, चूडेल जेम मनुष्यनुं रुधिर चूसी लेछे, तेम रागरूप चुडेलथी आत्मानी अनंति रूद्धि कर्मावरणथी आच्छादन थती जायछे, जन्द जेम माणसना शरीरमां पेसी अनेक तोफान करेछे, माणसनुं भान भूलावेछे तेम For Private And Personal Use Only
SR No.008627
Book TitleParmatma Darshan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBuddhisagar
PublisherAdhyatma Gyan Prasarak Mandal
Publication Year1910
Total Pages432
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Religion
File Size21 MB
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