________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
सरलतमः
annons
नथी, ज्यारे आत्मानंदी मुनिराजने अत्यंत सुख थामछे त्यारे सिद्ध भगवंतोने अनंत सुख छे तेमां शुं कहेवू ? अनुभवथी सुखनी. प्र. तीति थायछे. वळी मुनीश्वर उपर कहेला एवा बागमां सदाकाल वास करेछे, तेमने कोइ जातनी स्मृहा नथी आवा मुनींद्रना बागनी तोले राजा वा शाहुकारोना बाग आवी शकता नथी. राजाने तो मनुष्य सेवेछे किंतु मुनीश्वरने सुर असुर इंद्रादिक पण सेवेछे. राजाने परशत्रु थकी भय रहेछे. किंतु मुनीश्वरने जय होतो नथी. राजानी पासे अनेक सुभडो होयछे त्यारे. मुनीश्वर रूपी राजानी पारो क्षमा, वैराग्य, ज्ञान, दर्शन चारित्रादि अनेक सुभटो हायछे. राजानी लक्ष्मी जन्मांतरमा साथे आवती नथी. पण मुनींद्रनी लक्ष्मी तो परभवमा साये आवेछे अने मोक्षमां पण साथे रहेछे, राजा पोताना देशमा पूजायछे, अने मुनींद्र तो ज्यां विचरे त्यां पूजायछे. राजा वैभव छतां दुखी थायछे, अने आत्मज्ञानी मुनीश्वर तो वैभव विना पण अंतर वैभवथी सुखी रहेछे, राजाने पोताना राज्यथी संतोष रहेतो नथी. अने मुनींद्रने तो सदा संतोष छे. राजाने आ भवमां तथा परभवमा क्लेश सहन करवो पडेछे, अने मुनीश्वरने आ भव तथा परभवमा सुखनी प्राप्ति थायछे, राजा संसारमा प्रवृत्ति करेछे. त्यारे मुनीश्वर प्रवृत्तिनो त्याग करेछे, राजा हाथी उपर बेसी बखतरथी शोभा पामतो तीक्ष्ण भालाने धारण करेछे त्यारे मुनीश्वर संवेग रूप हाथी उपर बेठा थका ब्रह्मचर्यरूप बखतरथी शोभा पामता ध्यानरूप तीक्ष्ण भालाथी रागद्वेष रूप शत्रुनो शिरच्छेद करेछे, मुनीश्वरने तो कोई शत्रु नथी. किंतु व्यवहारथी शत्रुनी कल्पना जाणवी. पोते पोताना आत्म स्वभावमा रमेछे एटले स्वतः सग द्वेषनो क्षय थायछे, राजाने जरापण शांति मळती नथी, अने मुनीपरता सदा शान्तिमा रहेछे. राजा ज्यारे वाद्यवस्तु उपर ममता
For Private And Personal Use Only