________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
१०५
परनाव नागराज जीतीने नपर, पोठ्या विष्णु विलासी रे. निज गुण कर्त्ता परगुण दर्ता, प्रातम कृष्ण कहेवायो; समज्या विण ताणाताण करीने, अन्तर भेद को न पायो रे. श्रतम कृष्णने जावो ने गावो, लेजो मानवजव ब्दावो; बुद्धिसागर हरि प्रतमराया, अन्तरदृष्टिथी ध्यावो रे.
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
रमजो० ०
रमजो० ए
रमजो० १० साणंद शांतिः
॥ दवे मने हरि नामशु नेह लाग्यो - ए राग.
॥ पद. १३३ ॥
चेतनजी चेतो कोइ न दुनियामां तारुं, मिथ्या मानेवे मारु मारु रे. चेतनजी लाखचोराशीमां वार धनन्ति, देह धर्यो दुःख पामी, मळीयो मानवजव हार न आतम, उद्यममां राख नहि खामी रे. चेत० १
कायारे बंगलो मुसाफर जीवमो, जोजेतुं खने उघामी; धार्यो जरवो रे पमशे,
नचाको
२४
For Private And Personal Use Only