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________________ लोकप्रियता महान विद्वान और ऊँचे पद पर प्रतिष्ठित होने के भावजूद भी कभी आपमें अभिमान की सामान्य झलक भी देखने को नहीं मिली । इसी निरभिमानता के महान गुण की बदौलत आप अधिक लोकप्रिय बने । आचार्यश्री का सहज एवं सरल व्यक्तित्व श्रद्धालुओं के आकर्षण का प्रमुख केन्द्र था। नन्हें-मुन्हें बालकों में मिलने वाली सरलता आचार्यश्री में हमेशा सहजता से देखी जा सकती थी। आपकी अद्भुत सरलता के कारण ही आपके पास बालक - युवानवृद्ध सभी निःसंकोच आकर कुछ न कुछ प्रेरणा प्राप्त कर जाते थे | आप चालक के साथ भी वैसा ही व्यवहार करते थे जैना किसी युवान या वृद्ध के साथ | महान तीर्थ के उपदेशक महेसाणा की पावन वसुंधरा पर श्री सीमंधरस्वामी भगवान के विशाल जिनमंदिर एवं विराट जिनमूर्ति की स्थापना में आचार्यश्री का ही उपदेश था । जिनशासन की गरिमा और कीर्ति को दूर-दूर तक फैलाने वाले इस विशाल जिनमंदिर के उपदेशक के रूप में आचार्यश्री हमेशा अमर रहेंगे | पद्मासन स्थित श्री सीमंधरस्वामी भगवान की मूर्ति ऊँचाई की दृष्टि से आज समग्र भारत में प्रथम है । इस तीर्थ के दर्शनार्थ आ रहे हजारों श्रद्धालु श्री सीमंधरस्वामी परमात्मा के दर्शन कर आत्मतृप्ति का अनुभव करते हैं। २३
SR No.008597
Book TitleKailashsagarsuriji Jivanyatra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAnandsagarsuri, Sagaranandsuri
PublisherMahavir Jain Aradhana Kendra Koba
Publication Year1985
Total Pages34
LanguageHindi
ClassificationBook_Gujarati & History
File Size1 MB
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