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संसार का मेला अर्थात् चन्दन मलयागिरि घबराओ मत, यह खड़ा है तुम्हारा पिता चन्दन ।' पुत्र पिता के गले लग गये और मलयागिरि लज्जित हो गई।
व्यापारी फीका पड़ गया। राजा ने उसे क्षमा-दान देकर निकाल दिया। तत्पश्चात् चन्दन कुसुमपुर एवं श्रीपुर दोनों स्थानों का राजा बन गया। सायर एवं नीर दोनों राज्यों के अलग अलग युवराज बनाये गये।
घोर विपत्ति के समय भी चन्दन एवं मलयागिरि ने साहस रख कर शील का पालन किया और अनन्य निष्ठा के साथ वियोग सहन करने के कारण उन्होंने अधिक संयोग का अनुभव किया।
(उपदेशमाला से)
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