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( ५५ )
कोमे मुख्य भाग भजन्यो छे. आबु देलवाडनां जैन देरासरोनी कारीगरी देखीने युरोप अने अमेरिकाना कारीगरो दिङ्मूढ थइ जाय छे. बौद्धो करतां जैनोमां प्रतिमाओ बनाववामां कारीगरी विशेष अवलोकाय छे. अमदावाद अने पाटणनी केटलीक धातुनी प्रतिमाओ खास कारीगरी माटे जोवा लायक छे. अमदावाद अने पाटणमां धातुनी प्रतिमाओ त्रणी है.
दिगंबरनी धातुप्रतिमाना लेखो.
आ पुस्तकमा केटलाक दिगंबरी धातुप्रतिमाना लेखो लेवामां आव्या छे. श्वेताम्बरोना मंदिरोमां कोई ठेकाणे दिगंबरी धातुनी प्रतिमाओ छे अने दिगंबर मंदिरोमां कोइ स्थाने श्वेतांबरी धातुप्रतिमाओ छे. श्वेतांबरी प्रतिमाओपर लेख लखवानी पद्धति अने दिगंबर धातुप्रतिमाओपर लेख लखवानी पद्धतिमां फेरफार लागे छे ते बन्नेना लेखो आ पुस्तक छेतेनो मुकाबलो करवाथी फेरफार जणाशे. दिगंबर धातुप्रतिमाओमा अने श्वेतांबर धातुप्रतिमाओमां पण कंड़ कंड फेरफार मालुम पडे छे.
धातुप्रतिमाओपरथी घसाइ गएला लेखो.
प्रायः विक्रम संवत् बारमा सैकानी पूर्वनी धातुप्रतिमाओ परना aणा लेखो थोडाघणा अंशे घसाइ गया छे तेथी केटलाक लेखो तो पूर्ण रीत्या प्राप्त थता नथी. केटलाक लेखोपरथी आचार्यनां नामो मुंसाई गयां छे तो केटला लेखोमांथी गच्छोनां नामो भुंसाई गयां छे. बारमा सैका पूर्वनी प्रतिमाओपर गच्छनुं नाम लखवानी निश्चय रीति अवलोकाती नथी.
लेखोमां आवेलां गृहस्थ जैनोनां नामो अने तेओनी पद्वीओ. आ पुस्तकमां दरेक लेखमां धातुप्रतिमा करावनार श्रावक
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