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(१६) वसवाट करवा गएला होय एम जणाय छे. विक्रम संवत् बारनी सालमां थएल श्रीहेमचंद्राचार्य, मोढ वणिक ज्ञातीय हता, अने तेओनां मातापिता धंधुकामा रहेतां हता, विक्रम संवत् वारमा धंधुकामां मोढ वणिको विद्यमान हता तेथी एम सिद्ध थाय छे के मोढेरामा व्यापार वगेरेनी पडती थतां मोढ वणिकोए काठीयावाड वगेरे देशोमां व्यापार माटे वसवाट को लागे छे. मोढज्ञातिए कलिकाल सर्वज्ञश्री हेमचंद्राचार्य जेवा महा विद्वान्ने प्रगटावी मोढज्ञातिनी ज्वलंत कीर्ति संरक्षी छे. मोढज्ञाति जैनोए अनेक जैनाचार्यो, उपाध्यायो अने साधुओ प्रगटाव्या छे. जैन ग्रन्थोमां मोढज्ञातिनो इतिहास जळवायेलो छे, मोढज्ञातीय जैनोए देरासरो बंधाव्यां छे. जैन प्रतिमाओ भरावी छे. धातुप्रतिमाओ करावी छे. तेणे जैनधर्मनी प्रचारणामां जे अमूल्य लाभ आप्यो छे ते हेमचंद्राचार्यना नामनी साथे सदा स्मरणीय रहेशे. संवत् १५०६ नी सालमांथी तपापक्षगच्छमां धनरत्नसूरि थया छे तेमना मोढ श्रावक हेमराजे जिनेश्वरनी धातु प्रतिमाओ भरावी छे:-बीजा पण लेखो ले एथी सिद्ध थाय छे के ते समय सुधी मोढज्ञाती श्वेतांबर जैनधर्मी हती.धंधुकामां मोढज्ञातीनां घणां घरो छे अने ते श्रीहेमचंद्रप्रभुनां गृहस्थावस्थानां कुटुंबी घर छे. धंधुकामां मोढवणिक जैनोए जैनमंदिरो बंधाव्यां छे. मोढवणिक जैनोए जैनधर्मनी झाहोझलालीमां जैनाचार्यो वगेरेनो हिस्सो सारी रीते आप्यो छे. अढारमा सैकामां केटलीक मोढवणिक ज्ञाति वैष्णव धर्ममां भळी अने ओगणीसमा सैकामां तेनो मोटो भाग भळी गयो. वीसमा सैकामां हाल मोढवणिकोनो मोटो भाग तेमना असल जैन धर्मथी अज्ञात थइ गयो छे. केटलीक मोढेरा ज्ञाति दिगंबर जैनो तरीके हाल प्रायः विद्यमान छे.
हुंबडज्ञाति-हुंबडज्ञातिनी उत्पति क्यारे थइ ते संबंधी जैनग्रंभोमांथी इतिहास शोधवानी जरुर छे. इडरजील्लामां, वींछी वाडामां,
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