________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
७१
हसेल सामुं देखीने सुहास्य लावता, रुदित सामुं देखीनेज अश्रु लावताः अनेक लोकमां अनेक भावना हती, गुणानुवाद आपना कह्या जता नथी. कठीनता घटे तिहां कठीनता हती, सुदीनता घंटे तिहां सुदीनता हती; करुण भावमा करुण भावना थती, गुणानुवाद अपना कहा जता नथी.
सुयोगी लोक आपने सुयोगी मानता, अशोकी लोक आपने अशोक जाणताः सुयोगता अशोकताभरी घणी हतो, गुणानुवाद आपना कहा जता नयी.
विसारीये छतां कदापि विस्मरी नहि, अनेक दोष शिष्यना दिले घरो नहिः महा अगाध भावना कली गइ नहि, गुणानुवाद आपना कहा जता नथी. पदाब्जमां अमारुं चित्त राखजो सदा, उपाधि आधि व्याधिने विदारजो तथा अजित सद्गुरुपदे अजित विनती. गुणानुवाद आपना कह्या जता नथी.
For Private And Personal Use Only
६
ሪ