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सिद्धशिला ओळंगी गया, अधर रह्या छं विराज हौ गौतम; अलोके शुं जई अड्या, सार्यां आतम काज हो गौतम
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शिव ।।७।। जीहां जन्म नही मरण नही, नही जरा नही रोग हो गौतमः शत्रु नही मित्र नही, नही संयोग वियोग हो गौतम.
शिव ।।८।।
भूख नही तृषा नही, नही हरख नही शोक हो गौतम; कर्म नही काया नही नही विषयारस भोग हो गौतम.
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शब्द रूप रस गंध नही, नही स्पर्श नही वेद हो गौतम, बोले नही चाले नही, मौन जीहां नही खेद हो गौतम .
शिव । १९ ।।
गाम नगर तिहां को नही, नहि वस्ती नहि उज्जड हो गौतम; काळ सुकाळ वरते नही, नही रात दिवस तिथि वार हो गौतम. शिव. ।।99 ।।
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शिव ।। १० ।।
राजा नही प्रजा नही, नही ठाकोर नही दास हो गौतम; मुक्तिमा गुरु चेला नही, नही लघु वडाई तास हो गौतम . शिव ।। १२ । अनुपम सुखमा झीली रह्या, अरूपी ज्योति प्रकाश हो गौतम; सघळाने सुख सारिखुं, सहुकोने अविचळ वास हो गौतम .
शिव. ।।१३।।
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केवलज्ञान सहित छे, केवल दर्शन पास हो गौतम; क्षायिक समकित दीपतुं, कदीय न होये उदास हो गौतम.
शिव ।।१४।।