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जिनवर प्याइ जिनवर था, आतम परमातम पद नावुं. २ जिनवाणी वेदागम जाणो, समजीने उपयोगे आणो; जिन वाणीथी आतम शुद्धि, करवी एवी धारो बुद्धि. ३ यक्षोने यक्षीणीओ स्हाये, यावे वे भक्तोनी प्राये; उपासना भक्ति जे धारे, न्याये देवो आवे व्हारे. वीरप्रभुनी चार स्तुतिनी एक स्तुति. वीरप्रभु परमातमा, परमेश्वर देवा, चोवीश तीर्थकर जिनो, जेओ आपे मेवा; तेनी वाणी जली, शुद्ध श्रातमकारी, देव देवी सेवती, शासन हितकारी
चार थोयनी एक थोय.
प्रभुं श्री महावीर, सर्व विश्वहितकारी, चोवीशे जिनवर, तीर्थंकर अवतारी; जैनागम सूत्रो, ग्रन्थो ज्ञान प्रकाशी, देवो देवीओ, शासन सेव विलासी.
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